Rajiv Dixit : -
प्रांरभिक जीवन : -
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Rajiv dixit |
भारत में 5000 से अधिक विदेशी कम्पनियों के खिलाफ इन्होनें स्वदेशी आन्दोलन की शुरुआत की। राजिव दीक्षित ने स्वदेशी आन्दोलन तथा आज़ादी बचाओ आन्दोलन की शुरुआत की। इन्होनें जनवरी 2009 में भारत स्वाभिमान न्यास की स्थापना की तथा इसके राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सचिव बने। इनके मृत्यु दिवस को स्वदेशी दिवस के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाएगा।
जन्म - 30 नवम्बर 1967
जन्म स्थान - अलीगढ़, उत्तर प्रदेश, भारत
पूर्ण नाम - राजीव दीक्षित
पिता का नाम - राधे श्याम दीक्षित
माता का नाम - मिथिलेश कुमारी
शिक्षा - भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर
धार्मिक मान्यता - हिन्दू
पालक - मिथिलेश कुमारी, राधे श्याम दीक्षित
भाई-बहन - प्रदीप दीक्षित
राष्ट्रीयता - भारतीय
राजीव दीक्षित जी पर लिखी गई पुस्तकों के नाम -
1. निरोगी रहने के नियम और गंभीर रोगो की घरेलू चिकित्सा
2. वागभट साहिता पर आधारित दिनचर्या (स्वदेशी चिकित्सा)
3. सौन्दर्य निखार
4. रिफाइन तेल की कहानी
5. गौ चिकित्सा
6. हम कितने शाकाहारी है?
7. आज भी खरे है तालाब
8. बहुराष्ट्रीय कंपनियां और मौत का व्यापार
9. बहुराष्ट्रीय कंपनियां का मकड़जाल
10. आखिर मैंने यह संविधान क्यो लिखा
11. पेप्सी-कोला सपनों के सौदागर
12. क्या है ? WTO समझोता और भारतीय अर्थव्यवस्था को खत्म करने की साजिश
राजीव दीक्षित जी द्वारा प्रतिपादित अनमोल वचन -
1. व्यक्ति अपने सार्वजनिक जीवन में जो कुछ भी करता हैं, उसकी जड़ उसके निजी जीवन में जरूर होती हैं
2. भारत देश की आजादी के लिए 6 लाख 32 हजार क्रांतिकारी शहीद हुए, इनमें भगतसिंह सर्वोच्च शिखर पर हैं, ऐसा पूरा देश मानता हैं
3. व्यक्ति मरने से नहीं डरता हैं, मरने से पहले आने वाले दर्द से डरता हैं
4. दुनियाँ में कोई देश गुलामी की निशानियों को सँजो कर नहीं रखता है, आज विदेशी कंपनियों की लूट बंद करने का उपाय है विदेशी वस्तुओं का त्याग
5. देश के राज नेताओं की भूल आज देश भुगत रहा है
6. देश के लिए वही व्यक्ति संकल्प ले सकता हैं, जिसकी आत्मशक्ति मजबूत हो
7. अगर आप विदेशियों पर निर्भर है, प्रावलम्बी है, तो आप दुनिया में कोई ताकत हासिल नहीं कर सकते
8. भोजन हमेशा सुखआसन में बैठकर करें और ध्यान खाने पर ही रहे, मतलब टेलीविजन देखते, गाने सुनते हुए, पढ़ते हुए, बातचीत करते हुए कभी भी भोजन न करें
9. जब परिवर्तन होता है तो शुरू में किसी को भरोसा नहीं होता, लेकिन बाद में वो हो जाता हैं
10. हमारी बहुत सी धार्मिक किताबें, शास्त्र और इतिहास के साथ अंग्रेजों ने बहुत छेड़खानी की हैं
11. मेरा हो मन स्वदेशी, मेरा हो तन स्वदेशी, मर जाऊं तो भी मेरा होवे कफ़न स्वदेशी
12. मैं भारत की भारतीयता के मान्यता के आधार पर फिर से खड़ा करना चाहता हूँ उस काम में लगा हुआ हूँ
13. जब भारत में कोई विदेशी कम्पनी नही थी तब भारत सोने की चिड़िया था
14. दुनिया में अगर कोई व्यक्ति बेसिक रिसर्च करना चाहे, वो तब तक सम्भव नहीं है जब तक मातृभाषा में चिंतन ना करें
15. भारत की मूर्ख सरकारे आज तक भी अंग्रेजों के बनाये गये क़ानून को बदल नहीं पाई
16. भारत को अंग्रेजों के क़ानून रद्द करके भारत की व्यवस्थाओं और अपने देश के अनुसार क़ानून बनाने चाहिए
1. व्यक्ति अपने सार्वजनिक जीवन में जो कुछ भी करता हैं, उसकी जड़ उसके निजी जीवन में जरूर होती हैं
2. भारत देश की आजादी के लिए 6 लाख 32 हजार क्रांतिकारी शहीद हुए, इनमें भगतसिंह सर्वोच्च शिखर पर हैं, ऐसा पूरा देश मानता हैं
3. व्यक्ति मरने से नहीं डरता हैं, मरने से पहले आने वाले दर्द से डरता हैं
4. दुनियाँ में कोई देश गुलामी की निशानियों को सँजो कर नहीं रखता है, आज विदेशी कंपनियों की लूट बंद करने का उपाय है विदेशी वस्तुओं का त्याग
5. देश के राज नेताओं की भूल आज देश भुगत रहा है
6. देश के लिए वही व्यक्ति संकल्प ले सकता हैं, जिसकी आत्मशक्ति मजबूत हो
7. अगर आप विदेशियों पर निर्भर है, प्रावलम्बी है, तो आप दुनिया में कोई ताकत हासिल नहीं कर सकते
8. भोजन हमेशा सुखआसन में बैठकर करें और ध्यान खाने पर ही रहे, मतलब टेलीविजन देखते, गाने सुनते हुए, पढ़ते हुए, बातचीत करते हुए कभी भी भोजन न करें
9. जब परिवर्तन होता है तो शुरू में किसी को भरोसा नहीं होता, लेकिन बाद में वो हो जाता हैं
10. हमारी बहुत सी धार्मिक किताबें, शास्त्र और इतिहास के साथ अंग्रेजों ने बहुत छेड़खानी की हैं
11. मेरा हो मन स्वदेशी, मेरा हो तन स्वदेशी, मर जाऊं तो भी मेरा होवे कफ़न स्वदेशी
12. मैं भारत की भारतीयता के मान्यता के आधार पर फिर से खड़ा करना चाहता हूँ उस काम में लगा हुआ हूँ
13. जब भारत में कोई विदेशी कम्पनी नही थी तब भारत सोने की चिड़िया था
14. दुनिया में अगर कोई व्यक्ति बेसिक रिसर्च करना चाहे, वो तब तक सम्भव नहीं है जब तक मातृभाषा में चिंतन ना करें
15. भारत की मूर्ख सरकारे आज तक भी अंग्रेजों के बनाये गये क़ानून को बदल नहीं पाई
16. भारत को अंग्रेजों के क़ानून रद्द करके भारत की व्यवस्थाओं और अपने देश के अनुसार क़ानून बनाने चाहिए
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