Indira Gandhi : -
प्रांरभिक जीवन : -
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Indira Gandhi |
ऑक्सफोर्ड से वर्ष 1941 में भारत वापस आने के बाद वे भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में शामिल हो गयीं। इनके पिता की मृत्यु के बाद सन् 1964 में इनकी नियुक्ति एक राज्यसभा सदस्य के रूप में हुई। इसके बाद ये लालबहादुर शास्त्री के मंत्रिमंडल में सूचना और प्रसारण मत्री बनीं। इनका 26 मार्च 1942 को फ़िरोज़ गाँधी से विवाह किया। इनके दो पुत्र थे। 1955 में श्रीमती इंदिरा गाँधी कांग्रेस कार्य समिति और केंद्रीय चुनाव समिति की सदस्य बनी।
जन्म - 19 नवंबर 1917
जन्म स्थान - प्रयागराज
पूर्ण नाम - इंदिरा प्रियदर्शिनी नेहरू
पिता का नाम - जवाहरलाल नेहरू
माता का नाम - कमला नेहरू
बच्चे - राजीव गांधी, संजय गांधी
धर्म - हिन्दू
राजनीतिक दल - भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
शैक्षिक सम्बद्धता - सोमरविल कॉलेज
हत्या की गई - 31 अक्तूबर 1984
हत्या स्थान - नई दिल्ली
इंदिरा गांधी पर लिखी गई पुस्तकों के नाम -
1. इटरनल इंडिया
2. इंदिरा गांधी, एक अमेरिकी मित्र को पत्र 1950-1984
3. लोगों और समस्याओं पर
4. इंदिरा गांधी, भाषण और लेखन
5. इंदिरा गांधी लोकतंत्र, समाजवाद और तीसरी विश्व अहिंसा पर बोलती हैं
6. भारत: भारत के प्रधान मंत्री, इंदिरा गांधी के भाषण और स्मरण
इंदिरा गांधी द्वारा प्रतिपादित अनमोल वचन -
1. मेरे पिता एक राजनेता थे, मैं एक राजनीतिक औरत हूँ, मेरे पिता एक संत थे, मैं नहीं हूँ।
2. मेरे दादा जी ने एक बार मुझसे कहा था कि दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं, वो जो काम करते हैं और वो जो श्रेय लेते हैं। उन्होंने मुझसे कहा था कि पहले समूह में रहने की कोशिश करो, वहां बहुत कम प्रतिस्पर्धा है।
3. उन मंत्रियों से सावधान रहना चाहिए जो बिना पैसों के कुछ नहीं कर सकते, और उनसे भी जो पैसे लेकर कुछ भी करने की इच्छा रखते हैं।
4. लोग अपने कर्तव्यों को भूल जाते हैं पर अधिकारों को याद रखते हैं।
प्रश्न करने का अधिकार मानव प्रगति का आधार है।
5. भारत में कोई राजनेता इतना साहसी नहीं है कि वो लोगों को यह समझाने का प्रयास कर सके कि गायों को खाया जा सकता है।
6. वहां प्रेम नहीं है जहां इच्छा नहीं है।
7. आप बंद मुट्ठी से हाथ नहीं मिला सकते।
8. आपको गतिविधि के समय स्थिर रहना और विश्राम के समय क्रियाशील रहना सीख लेना चाहिए।
9. एक देश की ताकत अंततः इस बात में निहित है कि वो खुद क्या कर सकता है, इसमें नहीं कि वो औरों से क्या उधार ले सकता है।
10. मेरे सभी खेल राजनीतिक खेल होते थे; मैं जोन ऑफ आर्क की तरह थी, मुझे हमेशा दांव पर लगा दिया जाता था।
11. क्रोध कभी बिना तर्क के नहीं होता, लेकिन कभी – कभार ही एक अच्छे तर्क के साथ।
12. यदि मैं इस देश की सेवा करते हुए मर भी जाऊं, मुझे इसका गर्व होगा। मेरे खून की हर एक बूँद… इस देश की तरक्की में और इसे मजबूत और गतिशील बनाने में योगदान देगी।
13. क्षमा वीरों का गुण है।
14. अगर मैं एक हिंसक मौत मरती हूँ, जैसा की कुछ लोग डर रहे हैं और कुछ षड्यंत्र कर रहे हैं, मुझे पता है कि हिंसा हत्यारों के विचार और कर्म में होगी, मेरे मरने में नहीं।
6. भारत: भारत के प्रधान मंत्री, इंदिरा गांधी के भाषण और स्मरण
इंदिरा गांधी द्वारा प्रतिपादित अनमोल वचन -
1. मेरे पिता एक राजनेता थे, मैं एक राजनीतिक औरत हूँ, मेरे पिता एक संत थे, मैं नहीं हूँ।
2. मेरे दादा जी ने एक बार मुझसे कहा था कि दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं, वो जो काम करते हैं और वो जो श्रेय लेते हैं। उन्होंने मुझसे कहा था कि पहले समूह में रहने की कोशिश करो, वहां बहुत कम प्रतिस्पर्धा है।
3. उन मंत्रियों से सावधान रहना चाहिए जो बिना पैसों के कुछ नहीं कर सकते, और उनसे भी जो पैसे लेकर कुछ भी करने की इच्छा रखते हैं।
4. लोग अपने कर्तव्यों को भूल जाते हैं पर अधिकारों को याद रखते हैं।
प्रश्न करने का अधिकार मानव प्रगति का आधार है।
5. भारत में कोई राजनेता इतना साहसी नहीं है कि वो लोगों को यह समझाने का प्रयास कर सके कि गायों को खाया जा सकता है।
6. वहां प्रेम नहीं है जहां इच्छा नहीं है।
7. आप बंद मुट्ठी से हाथ नहीं मिला सकते।
8. आपको गतिविधि के समय स्थिर रहना और विश्राम के समय क्रियाशील रहना सीख लेना चाहिए।
9. एक देश की ताकत अंततः इस बात में निहित है कि वो खुद क्या कर सकता है, इसमें नहीं कि वो औरों से क्या उधार ले सकता है।
10. मेरे सभी खेल राजनीतिक खेल होते थे; मैं जोन ऑफ आर्क की तरह थी, मुझे हमेशा दांव पर लगा दिया जाता था।
11. क्रोध कभी बिना तर्क के नहीं होता, लेकिन कभी – कभार ही एक अच्छे तर्क के साथ।
12. यदि मैं इस देश की सेवा करते हुए मर भी जाऊं, मुझे इसका गर्व होगा। मेरे खून की हर एक बूँद… इस देश की तरक्की में और इसे मजबूत और गतिशील बनाने में योगदान देगी।
13. क्षमा वीरों का गुण है।
14. अगर मैं एक हिंसक मौत मरती हूँ, जैसा की कुछ लोग डर रहे हैं और कुछ षड्यंत्र कर रहे हैं, मुझे पता है कि हिंसा हत्यारों के विचार और कर्म में होगी, मेरे मरने में नहीं।
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