Bhagat Singh : -

Bhagat singh
Bhagat singh

प्रारम्भिक जीवन : -

भारत के एक महान स्वतंत्रता सेनानी क्रांतिकारी के रूप में भगत सिंह को जाना जाता है। इनका परिवार एक जाट सिक्ख परिवार था। इन्होने आजादी के लिए अपना तन - मन - धन न्योछावर कर दिया और इतिहास में अपना नाम अमर कर लिया, जिन्हे आज पूरी दुनिया भगत सिंह के नाम जानती है। जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड ने भगत सिंह को बहुत प्रभावित किया ये वीर हमेशा हमारे दिलो में राज करते हैं और करते रहेंगे। इन्होने अंग्रेजों के छक्के छुड़वा दिए थे जिन्होंने कईं वर्षों तक हमारे देश पर राज किया और हमारे देश को इतना कमजोर बना दिया। परन्तु हम अभी भी कमजोर नहीं हैं इस देश के लिए हमें भी कुछ करना है ऐसी भावना हर देश वासी के मन में होनी चाहिए तभी हम भारत को उज्जवल बना सकतें हैं

जन्म - 28 सितंबर 1907

जन्म स्थान - बंगा

पूर्ण नाम - भगत सिंह

पिता का नाम - सरदार किशन सिंह संधु

गुरु का नाम - करतार सिंह सराभा

क्रान्तिकारी गतिविधियाँ -

1. लाला जी की मृत्यु का प्रतिशोध

2. एसेम्बली में बम फेंकना

जेल का समय - 2 साल

भगत सिंह का नारा -

मेरा रँग दे बसन्ती चोला, मेरा रँग दे।

मेरा रँग दे बसन्ती चोला। माय रँग दे बसन्ती चोला॥

मृत्यु - 23 मार्च 1931

मृत्यु स्थान - लाहौर, पाकिस्तान

भगत सिंह द्वारा लिखी गई पुस्तकों के नाम -

1. मैं नास्तिक क्यों हूं

2. भगत सिंह के पत्र और दस्तावेज़

3. जेल डायरी

4. क्रांति 20

5. ख्वाब के गाँव में

भगत सिंह द्वारा लिखी गई कहानियों के नाम -

1. भगत सिंह

2. शहीद भगत सिंह की खास बातें

3. हिंद ए आजम भगत सिंह

4. शहीद भगत सिंह की संपूर्ण जीवनी

5. शहीद दिवस

भगत सिंह द्वारा प्रतिपादित अनमोल वचन -

1. जो व्यक्ति उन्नति के लिए राह में खड़ा होता है उसे परम्परागत चलन की आलोचना एवम विरोध करना होगा साथ ही उसे चुनौती देनी होगी।

2. कोई भी व्यक्ति तब ही कुछ करता है जब वह अपने कार्य के परिणाम को लेकर आश्व्स्त (औचित्य) होता है जैसे हम असेम्बली में बम फेकने पर थे।

3. मैं एक इन्सान हूँ और जो भी चीजे इंसानियत पर प्रभाव डालती है मुझे उनसे फर्क पड़ता है।

4. किसी भी कीमत पर शक्ति का प्रयोग ना करना काल्पनिक आदर्श है और देश में जो नवीन आन्दोलन शुरु हुआ है जिसके शुरुआत की हम चेतावनी दे चुके है वो गुरु गोबिन्द सिंह और शिवाजी, कमाल पाशा और राजा खान, वाशिंगटन और गैरीबालड़ी, लाफयेतटे और लेनिन के आदर्शों का अनुसरण है।

5. प्रेमी, पागल और कवी एक ही थाली के चट्टे बट्टे होते है अर्थात सामान होते हैं।

6. यदि बहरों को सुनना है तो आवाज तेज करनी होगी . जब हमने बम फेका था तब हमारा इरादा किसी को जान से मारने नहीं था. हमने ब्रिटिश सरकार पर बम फेका था. ब्रिटिश सरकार को भारत छोड़ना होगा और उसे स्वतंत्र करना होगा।

7. किसी को “क्रांति” को परिभाषित नहीं करना चाहिए| इस शब्द के कई अर्थ एवं मतलब है की जो की इसका उपयोग अथवा दुरपयोग करने वाले तय करते है।

8. क्रांति मनुष्य का जन्म सिद्ध आधिकार है साथ ही आजादी भी जन्म सिद्ध अधिकार है और परिश्रम समाज का वास्तव में वहन करता है।

9. अहिंसा को आत्म विश्वास का बल प्राप्त है जिसमे जीत की आशा से कष्ट वहन किया जाता है। लेकिन अगर यह प्रयत्न विफल हो जाए तब क्या होगा? तब हमें इस आत्म शक्ति को शारीरिक शक्ति से जोड़ना होता है ताकि हम अत्याचारी दुश्मन की दया पर न रहे।

10. किसी को क्रांति शब्द कि व्याख्या शाब्दिक अर्थ में नहीं करनी चाहिए जो लोग इस शब्द का दुरूपयोग करते है, उनके फायदे के हिसाब से इसे अलग अर्थ और मतलब दिए जाते है।

11. अहिंसा को आत्मबल के सिधांत का समर्थन है जिसमें प्रतिद्वंदी पर जीत कि आशा में कष्ट सहा जाता है, लेकिन तब क्या हो, जब ये कोशिश नाकाम हो जाए? तभी हमें आत्मबल को शारीरिक बल से जोड़ने कि जरुरत पड़ती है ताकि हम अत्याचारी और क्रूर दुश्मन के रहमोकरम पर निर्भर न रहे

12. इन्सान तभी कुछ करता है जब वो अपने काम के औचित्य को लेकर सुनिश्चित होता है, जैसा कि हम विधानसभा में बम फैंकने को लेकर थे